JBMT08 - कुंडलपुर - प्राचीन मंदिरों से लेकर दुनिया के सबसे ऊंचे जैन मंदिर तक
कुंडलपुर - प्राचीन मंदिरों से लेकर दुनिया के सबसे ऊंचे जैन मंदिर तक
मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले में स्थित कुंडलपुर, एक प्रमुख ऐतिहासिक जैन तीर्थस्थल है जो अपनी आध्यात्मिक, स्थापत्य और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यह बड़े बाबा (भगवान आदिनाथ/ऋषभनाथ) की पद्मासन मुद्रा में 15 फुट ऊँची प्रतिमा के लिए सबसे प्रसिद्ध है, जो हज़ारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है। यह स्थल दुनिया के सबसे ऊँचे जैन मंदिर (189 फुट) के निर्माण के लिए भी जाना जाता है , जो लोहे या सीमेंट के बिना अनोखे ढंग से बनाया गया है और प्राचीन इंजीनियरिंग प्रथाओं को दर्शाता है।
जगह
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मध्य प्रदेश के दमोह शहर से लगभग 35 किमी दूर कुंडलपुर, कुंडलगिरि में स्थित है।
धार्मिक महत्व
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बड़े बाबा (आदिनाथ): कुण्डलपुर के केन्द्रीय देवता, भगवान आदिनाथ की 15 फुट ऊंची पद्मासन प्रतिमा ।
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सिद्ध क्षेत्र: माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां अंतिम श्रुत केवली श्रीधर केवली को मोक्ष प्राप्त हुआ था।
- तीर्थयात्रा केंद्र: दिगंबर जैनियों के लिए एक पूजनीय स्थल, जिसे गहन आध्यात्मिक ऊर्जा का स्थान माना जाता है।
ऐतिहासिक महत्व
- प्राचीन जड़ें: कुंडलपुर को एक प्राचीन जैन तीर्थ के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसका उल्लेख जैन परंपरा की प्रारंभिक शताब्दियों से मिलता है।
- कलचुरी काल (7वीं-13वीं शताब्दी): कलचुरी शासकों के अधीन यहां जैन धर्म का विकास हुआ, तथा यहां ऐसे मंदिर बनाए गए जो आज भी स्थापत्य कला के चमत्कार के रूप में मौजूद हैं।
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बाद के मंदिर: 18वीं-19वीं शताब्दियों में अनेक मंदिरों का निर्माण या जीर्णोद्धार किया गया, जो निरंतर भक्ति और संरक्षण को दर्शाते हैं।
प्रमुख विशेषताऐं
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बड़े बाबा मंदिर: यहां भगवान आदिनाथ की पद्मासन मुद्रा में 15 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है।
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मंदिरों की संख्या: लगभग 63 मंदिर , जिनमें से 22 बड़े बाबा को समर्पित हैं।
- विश्व का सबसे ऊंचा जैन मंदिर: वर्तमान में 189 फीट की ऊंचाई पर निर्माणाधीन इस मंदिर को प्राचीन मंदिर परंपराओं को दोहराने के लिए पत्थर और चूने की तकनीक का उपयोग करके डिजाइन किया गया है - लोहे और सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है।
- स्थापत्य विरासत: मंदिरों में जैन इतिहास के विभिन्न युगों की जटिल नक्काशी और डिजाइन शैलियाँ देखने को मिलती हैं।
तीर्थयात्रा और त्यौहार
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वार्षिक मेले और समारोह: महावीर जयंती सहित प्रमुख जैन धार्मिक त्योहारों पर भक्तों की बड़ी भीड़ उमड़ती है।
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दैनिक अनुष्ठान: निरंतर पूजा, अभिषेक और जप से गहन आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण होता है।
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सांस्कृतिक केंद्र: कुंडलपुर तीर्थयात्रियों, विद्वानों और वास्तुकारों को आकर्षित करता है जो दोनों धर्मों में रुचि रखते हैं। धार्मिक अभ्यास और विरासत संरक्षण .
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
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कुंडलपुर को “सिद्धक्षेत्र” के रूप में पूजा जाता है - एक ऐसा स्थान जहाँ आत्माओं को मुक्ति प्राप्त हुई है।
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यह स्थल जैन भक्ति का जीवंत उदाहरण है, जिसमें प्राचीन परम्पराओं को सबसे ऊंचे मंदिर के निर्माण जैसे आधुनिक पुनरुद्धार प्रयासों के साथ जोड़ा गया है।
छिपे हुए तथ्य
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कुंडलपुर में विश्व का सबसे ऊंचा जैन मंदिर लोहे या सीमेंट के बिना , केवल चूने, पत्थर और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके बनाया जा रहा है - जो आधुनिक वास्तुकला में एक दुर्लभ उपलब्धि है।
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ऐसा माना जाता है कि बड़े बाबा की मूर्ति से ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा निकलती है कि कई भक्तगण उनके समक्ष बैठने मात्र से ही आंतरिक शांति और आशीर्वाद की अनुभूति करते हैं।
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यह विश्वास कि श्रीधर केवली ने यहां मोक्ष प्राप्त किया था, कुंडलपुर के महत्व को सिद्ध क्षेत्र के रूप में बढ़ाता है, जिससे यह जैन धर्म में सबसे पवित्र स्थलों में से एक बन गया है।