जैन स्तुति

प्रभु पतित पावन

प्रभु पतित पावन मै अपावन, चरण आयो शरण जी। यो विरद आप निहार स्वामी, मिले जमन मारन जी

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कल्लना कंदम

कल्लाना-कंदम पधमम जिनिंदम संतिम ताओ नेमि-जिनम मुनिन्दम पसं पायसं सुगुनिक्का-थानम भट्टि वन्दे सिरि वद्धमानम्

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संसार घोर अपार चे, तेमा दुबेला भव्या ने

संसार घोर अपार चे, तेमा दुबेला भव्या ने हे त्रं भुवन न नाथ मरि कथानि जय कोने काहू कागद लाख्यो पाहुछे नहीं फरियाद जय कोने काहू तू मोक्ष नि मोजर...

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