कुंथुनाथ भगवान - सत्रहवें तीर्थंकर

कुंथुनाथ भगवान - सत्रहवें तीर्थंकर
कुंथुनाथ भगवान जैन धर्म के वर्तमान अवसर्पिणी काल (समय का अवरोही अर्ध-चक्र) के सत्रहवें तीर्थंकर थे। आध्यात्मिक ज्ञान के प्रकाशपुंज, उन्होंने असंख्य प्राणियों को अहिंसा , सत्य और त्याग के मार्ग पर अग्रसर किया और अंततः उन्हें मुक्ति की ओर अग्रसर किया।
कुंथुनाथ भगवान का जन्म और प्रारंभिक जीवन
उनका जन्म हस्तिनापुर (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत) में इक्ष्वाकु वंश के राजा शूरसेन और रानी श्री देवी के यहाँ हुआ था। उनके जन्म के साथ ही दिव्य संकेत मिले थे, जो उनकी आध्यात्मिक महानता का संकेत देते थे। उनका रंग सुनहरा था और उनकी ऊँचाई 35 धनुष (लगभग 105 फीट) थी। उनका शुभ प्रतीक बकरा था, जो धैर्य और दृढ़ता का प्रतीक था।
कुंथुनाथ भगवान ने आश्चर्यजनक रूप से 95 लाख पूर्व तक जीवन बिताया और असंख्य लोगों को धर्म की ओर अग्रसर किया। उन्होंने सभी सांसारिक सुखों का त्याग कर केवलज्ञान प्राप्त किया और अंततः सम्मेद शिखरजी में मोक्ष प्राप्त किया।
कुंथुनाथ भगवान के जीवन प्रसंग एवं कल्याणक
- गर्भ कल्याणक (गर्भाधान) - रानी श्री देवी ने 14 शुभ स्वप्न देखे, जो एक दिव्य आत्मा के जन्म का संकेत थे।
- जन्म कल्याणक – हस्तिनापुर नगर में उनका जन्म बड़े धूमधाम से मनाया गया।
- दीक्षा कल्याणक (त्याग) - जीवन की नश्वरता पर गहन चिंतन के बाद, उन्होंने अपना राज्य त्याग दिया और तपस्वी जीवन अपना लिया।
कुंथुनाथ भगवान के बारे में कम ज्ञात और रोचक तथ्य
- नाम की उत्पत्ति - उनका नाम "कुंथुनाथ" दुर्लभ और चमकदार कुंथु मणि रत्न से लिया गया है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह उनके काल में मौजूद था।
- आध्यात्मिक विरासत - उनके हजारों शिष्य थे जिन्होंने मोक्ष के मार्ग पर उनकी शिक्षाओं का अनुसरण किया।
- राजघराने पर प्रभाव - उनके उपदेशों को सुनने के बाद कई राजाओं ने अपने सिंहासन त्याग दिए और जैन धर्म अपना लिया।
- समवशरण - उनकी दिव्य आध्यात्मिक सभा में मनुष्य, दिव्य प्राणी और यहां तक कि जानवर भी शामिल होते थे।
- तीर्थ विस्तार - उनके प्रभाव से कई जैन मंदिरों और मठ केंद्रों का निर्माण हुआ।
कुंथुनाथ भगवान की पूजा एवं मंदिर
- हस्तिनापुर जैन मंदिर - उनके जन्मस्थान के रूप में सम्मानित, जहां उन्हें समर्पित सुंदर मंदिर हैं।
- सम्मेद शिखरजी - पवित्र स्थान जहाँ उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया।
- श्री महावीरजी (राजस्थान) - यहां कुंथुनाथ भगवान सहित कई तीर्थंकरों की मूर्तियां हैं।
कुंथुनाथ भगवान: प्रश्न और उत्तर
1) कुंथुनाथ भगवान का प्रतीक चिन्ह (लांचन) क्या है?
उनका प्रतीक बकरा है, जो धैर्य, सहनशीलता और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है।
2) कुंथुनाथ भगवान कितने लम्बे थे?
वह 35 धनुष लंबे, लगभग 105 फीट थे।
3) कुंथुनाथ भगवान का रंग कैसा था?
उनका रंग सुनहरा था, जो दिव्य तेज और पवित्रता का प्रतीक था।
4) कुंथुनाथ भगवान कितने समय तक जीवित रहे?
वे 95 लाख पूर्व तक जीवित रहे, जो जैन ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार एक बहुत बड़ी आयु है।
5) उनका जन्म किस युग में हुआ था?
उनका जन्म अवसर्पिणी काल में हुआ था, जो समय का अवरोही चक्र है।