संसार घोर अपार चे, तेमा दुबेला भव्या ने
संसार घोर अपार चे, तेमा दुबेला भव्या ने
हे त्रं भुवन न नाथ मरि कथानि जय कोने काहू
कागद लाख्यो पाहुछे नहीं फरियाद जय कोने काहू
तू मोक्ष नि मोजर मा हा दु:ख भार्या संसार मा
जरा सामु तो जुवो नहीं तो वट जाई कोने काहू
शून्य हसे पूज्य हसे, निरख्य हसे पान कोक क्षणे
हे जगत बन्धु चित्त मा, ध्यान नहिं भक्ति पणे
जन्म्यो प्रभु ते कारणे, दुःख पत्र हु संसार मा
आ भक्ति ते फलति नाथी, जे भाव शून्य चार मा....2
जे दृष्टि प्रभु दर्शन करे, ते दृष्टि ने पान ध्यानाय चे
जे जिभ जिनवर ने स्टेवे, ते जिभ ने पान ध्यानाय चे
पिये वृदा वाणी शुद्धा, ते कर्ण युग ने धन्य चे
तुज नाम मंत्र विषाद धरे, ते हृदय ने पान धन्य चे..3
हु कड़ी भूली जाउ तो, प्रभु तू माने संभारजे
हु कड़ी डूबी जौ तो, प्रभु तू माने उगर्जे
हु वास्यो छु राग मा, ने तू वास्यो वैराग्य मा
आ राग वश रजदि रह्यो चू, पार भाव उतारजे ..4
हे प्रभु आनंद दाता, ज्ञान हमको दीजिए
शिघ्र सारे अवगुनो को, दूर हमसे किजिये
लीजिये हमको शरण में, हम सदाचारी बने
ब्रह्मचारी धर्म रक्षक, वीर व्रत धारी बने....5
हु क्या थी आव्यो क्या जावनो, तेनी काई खबर नथी
तो पान प्रभु लम्पट बानी, हु क्षणिक सुख छोड़ु नाहीं
सु-देव सु-गुरु सु-धर्म स्थानो, माल्या पान साध्य नहीं
शू थासे प्रभु महरू, मानव भव चुक्यो सही....6
मंगलम भगवान वीरो, मंगलम गौतम प्रभु
मंगलम् स्थूल भद्र ध्या, जैन धर्मोस्तु मंगलम्
सर्व मंगलाय मंगलायम्, सर्व कल्याण कारणम्
प्रधानम सर्व धर्मनाम, जैनम जयति शासनम ..7