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चिंतामणि मारी, चिंता चूर - जैन स्तवन

01 Apr 2025

आनि शुद्ध मन आस्था, देव जुहारु शाश्वत...(2)
पारसनाथ मन-वंचित पुर,
चिंतामणि मारी चिंता चूर
शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर
….चिंतामणि मारी

अनियारी तारी आंखड़ी, जाने कमल नी पंखड़ी…..(2)
मुख दिसे दुख जाए दूर,
चिंतामणि मारी चिंता चूर
शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर
….चिंतामणि मारी

कोइ ने कोइ ने नाम, मारा मन मा तुज रामे...(2)
सदा जुहारु उगते सूर, चिंतामणि मारी चिंता चूर
शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर
….चिंतामणि मारी

शंखेश्वर न सच्चा देव, अशुभ कर्म ने पाचा थेव......(2)
तू चे मारे हाजरा हजूर, चिंतामणि मारी चिंता चूर
शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर
…..चिंतामणि मारी

आ स्तोत्र जे मन मा धरे, तेना काज सदाय सारे...(2)
आधी व्याधि दुख जाए दूर, चिंतामणि मारी चिंता चूर
शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर
…..चिंतामणि मारी

मुज ने लागी तुज सु प्रीत, दूजो कोई ना आवे चित......(2)
कर मुझ तेज प्रताप परचूर, चिंतामणि मारी चिंता चूर
शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर
…..चिंतामणि मारी

भावो भव मंगु तुज पद सेव, चिंतामणि अरिहंत देव...(2)
समय सुंदर कहे गुन भरपुर, चिंतामणि मारी चिंता चूर
शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर
चिंतामणि मारी चिंता चूर, शंखेश्वर दादा मारी चिंता चूर

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