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सिद्धाचल न वासी, विमलाचल न वासी

04 Apr 2025

सिद्धाचल न वासी, विमलाचल न वासी,
जिनजी प्यारा, आदिनाथ ने वंदन अमारा,
प्रभुजीनु मुखदु मलके, नैनोमथी वरसे,
अमीरस धरा, आदिनाथ ने वंदन अमारा।

प्रभुजीनो मुखदु चे मानको मिलकार,
दिल में भक्ति की ज्योत जलाकर,
भजले प्रभुने भावे, दुर्गति कदी न आवे,
जिनजी प्यारा, आदिनाथ ने वंदन अमारा। /1/

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अमे तोह मायानगरना विलासी,
तामे चो मुक्तिपुरी न वासी,
कर्म बंधन कपो, मोक्ष सुख आपो,
जिनजी पियारा, आदिनाथ ने वंदन अमारा। /2/

भामिने लाख चौरासी हु आव्यो,
पुण्य दर्शन तुम्हारा हो पायो,
धन्य दिवस मारो, भावना फेरा टालो,
जिनजी प्यारा, आदिनाथ ने वंदन अमारा। /3/

अरजी उर्मा धरजो अमारी,
अमने आशा चे प्रभुजी तमारि,
कहे कठोर हवे, सांचा स्वामी तम, वंदन करिये तम,
जिनजी पियारा, आदिनाथ ने वंदन अमारा। /4/

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